लेखनी कविता -10-Mar-2022- वार्षिक प्रतियोगिता हेतु - हिम्मत से विकास
हिम्मत का हथियार न त्यागों,
विकसित अपना देश बना लो ,
अंधेरों से तुम पर डरकर न भागो,
सुख दुख तो आना-जाना होता ,
दुनियावालों तुम अब तो जागो |
हालात बद से बदतर हो रहे हैं,
मानवता को खो हम सो रहे हैं,
इंसानियत को पहचानों तुम,
अपनों को खोकर सब रो रहे हैं |
बाधाएं बहुत सी आती जीवन में,
जिम्मेदारी भरी होती इस वन में,
फूलों से भरेगी बगिया तुम्हारी,
विकास होगा तेरे इस उपवन में |
लोग आत्महत्या तक है कर जाते,
उलझनों से जिंदगी की जो डर जाते ,
बुजदिली का दामन छोड़ दो तुम,
हौसलों से भंवर तक हैं तर जाते |
एक यह नई जंग जो हैं आई,
बीमारी रूप में जग में हैं छाई,
हिम्मत से सामना करें इसका,
दुनिया में जो किसी को नहीं भाई |
हिम्मत को हथियार तुम बना लो,
उम्मीदों को पतवार तुम बना लो,
जीवन भर जाएगा चांद सितारों से,
आशा को जिंदगी की ढाल बना लो |
विकास तुम्हारा तभी हो जाएगा ,
देश भी अग्रसर होता जाएगा ,
हिम्मत जो आएगी मन में तेरे ,
ईश्वर भी साथ तेरे आ जाएगा ||
वार्षिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Seema Priyadarshini sahay
11-Mar-2022 05:08 PM
बहुत खूबसूरत
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Swati chourasia
10-Mar-2022 05:39 PM
बहुत ही सुंदर रचना 👌
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Gunjan Kamal
10-Mar-2022 11:49 AM
शानदार प्रस्तुति 👌
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